आस्ट्रेलिया डायरी-2
आस्ट्रेलिया यात्रा वृतांत: तस्वीर नकवी द्वारा
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आईए,अब लौट आते हैं सिडनी!!
साथ रहने का शुक्रिया!!
सिडनी ऑस्ट्रेलिया का सब से बड़ा शहर!!
और "सिडनी हार्बर ब्रिज" , "ओपेरा हाउस" उस की पहचान!!
"सर्कुलर की" उस जगह का नाम है जहां पर यह दोनों हैं!!
मुझे यह जगह बहुत पसंद थी!!
मैं हर दूसरे तीसरे दिन कभी ट्रेन से ,कभी बस से कभी "क्रूज़" से यहां आ जाती थी!!
एक बेंच पर बैठ जाती थी!!
और सामने दुनिया के लोगों को गुज़रते हुए देखती रहती थी!!
यहां ऑस्ट्रेलिया के सब से ज़्यादा टूरिस्ट आते हैं!!
एक साल में लगभग एक करोड़ !!
हर मुल्क , हर उम्र , हर रंग के लोग!!
मैं बस खो जाती थी लोगों में!!
मैने यहां से बहुत कुछ जाना!!
बहुत कुछ सीखा!!
शेयर करने को कोशिश करूंगी!!
अब थोड़ी सी हिस्ट्री!!
"सिडनी हार्बर ब्रिज"
यूरोपियनों के आने से पहले यहां" ईयोरा" ट्राइब के लोग रहते थे!!
1924 में यह बनना शुरू हुआ!!
इंग्लिश इंजीनियर "ब्रैडफील्ड की निगरानी में 1932" में बन कर तैयार हुआ!!
इसका बनना ऑस्ट्रेलियन हिस्ट्री का एक ख़ास चैप्टर है!!
यह"सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट" (CBD) को सिडनी के उत्तरी इलाकों से जोड़ता है!!
यह स्टील का बना हुआ दुनिया का सब से बड़ा आर्च है!!
160 ft चौड़ा है,440ftऊंचा है,1,149 मीटर लंबा है!!
160,000 कारें हर दिन इस पर से गुजरती हैं!!
इसको बनवाने में आज के 1.5 बिलियन ऑस्ट्रेलियन खर्च हुए थे!!
"ओपेरा हाउस"
यह अपने अनोखे डिज़ाईन के लिए जाना जाता है!!
यहां हजारों साल तक "गाडिगल "ट्राईब के लोग रहते थे!!
यह 1959 में बनना शुरू हुआ!!
20 अक्टूबर ,1973 में क्वीन विक्टोरिया ने यहां आ कर इसका उद्घाटन किया!!
डच आर्किटेक्ट"जॉन उटज़ौन" का शाहकार है!!
28 जून,2007 को यूनेस्को ने इसे ",वर्ल्ड हेरिटेज साइट" डिक्लेर किया है!!
हमेशा सैलानियों से भरा रहता है!!
जो चीज़ सब से अच्छी लगी वो इस जगह का फ़र्श!!
यहां से ले कर "रॉक्स" तक के रास्ते में यह धात के बने हुए फर्श में जड़े हुए चौकोर टुकड़े हैं!!
इन पर बड़े बड़े ऑस्ट्रेलियन कवियों और लेखकों की लिखी हुई कुछ लाईनें हैं !!
साफ़ पढ़ी
जा सकती हैं!!
लोग उन पर चलते रहते हैं!!
मुझे फ़ोटो खींचते हुए देख कर कुछ लोग रुके !!
पढ़ने लगे!!
मुझे ख़ुशी हुई!!
कुछ तो अच्छा किया !!
साथ रहने का शुक्रिया!!
सिडनी ऑस्ट्रेलिया का सब से बड़ा शहर!!
और "सिडनी हार्बर ब्रिज" , "ओपेरा हाउस" उस की पहचान!!
"सर्कुलर की" उस जगह का नाम है जहां पर यह दोनों हैं!!
मुझे यह जगह बहुत पसंद थी!!
मैं हर दूसरे तीसरे दिन कभी ट्रेन से ,कभी बस से कभी "क्रूज़" से यहां आ जाती थी!!
एक बेंच पर बैठ जाती थी!!
और सामने दुनिया के लोगों को गुज़रते हुए देखती रहती थी!!
यहां ऑस्ट्रेलिया के सब से ज़्यादा टूरिस्ट आते हैं!!
एक साल में लगभग एक करोड़ !!
हर मुल्क , हर उम्र , हर रंग के लोग!!
मैं बस खो जाती थी लोगों में!!
मैने यहां से बहुत कुछ जाना!!
बहुत कुछ सीखा!!
शेयर करने को कोशिश करूंगी!!
अब थोड़ी सी हिस्ट्री!!
"सिडनी हार्बर ब्रिज"
यूरोपियनों के आने से पहले यहां" ईयोरा" ट्राइब के लोग रहते थे!!
1924 में यह बनना शुरू हुआ!!
इंग्लिश इंजीनियर "ब्रैडफील्ड की निगरानी में 1932" में बन कर तैयार हुआ!!
इसका बनना ऑस्ट्रेलियन हिस्ट्री का एक ख़ास चैप्टर है!!
यह"सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट" (CBD) को सिडनी के उत्तरी इलाकों से जोड़ता है!!
यह स्टील का बना हुआ दुनिया का सब से बड़ा आर्च है!!
160 ft चौड़ा है,440ftऊंचा है,1,149 मीटर लंबा है!!
160,000 कारें हर दिन इस पर से गुजरती हैं!!
इसको बनवाने में आज के 1.5 बिलियन ऑस्ट्रेलियन खर्च हुए थे!!
"ओपेरा हाउस"
यह अपने अनोखे डिज़ाईन के लिए जाना जाता है!!
यहां हजारों साल तक "गाडिगल "ट्राईब के लोग रहते थे!!
यह 1959 में बनना शुरू हुआ!!
20 अक्टूबर ,1973 में क्वीन विक्टोरिया ने यहां आ कर इसका उद्घाटन किया!!
डच आर्किटेक्ट"जॉन उटज़ौन" का शाहकार है!!
28 जून,2007 को यूनेस्को ने इसे ",वर्ल्ड हेरिटेज साइट" डिक्लेर किया है!!
हमेशा सैलानियों से भरा रहता है!!
जो चीज़ सब से अच्छी लगी वो इस जगह का फ़र्श!!
यहां से ले कर "रॉक्स" तक के रास्ते में यह धात के बने हुए फर्श में जड़े हुए चौकोर टुकड़े हैं!!
इन पर बड़े बड़े ऑस्ट्रेलियन कवियों और लेखकों की लिखी हुई कुछ लाईनें हैं !!
साफ़ पढ़ी
जा सकती हैं!!
लोग उन पर चलते रहते हैं!!
मुझे फ़ोटो खींचते हुए देख कर कुछ लोग रुके !!
पढ़ने लगे!!
मुझे ख़ुशी हुई!!
कुछ तो अच्छा किया !!
***
"ओपेरा हाउस और जौन एलिया"
ओपेरा हाउस मेरी पसंदीदा जगह है!!
ओपेरा हाउस मेरी पसंदीदा जगह है!!
क्योंकि यहां सब से ज़्यादा टूरिस्ट दिखते हैं !!
उनसे बात करना,उनको देखना बहुत ही अच्छा लगता था!!
बात शुरू करने के लिए मैं अपना फ़ोन आगे कर देती थी !!
फोटो क्लिक करने की रिक्वेस्ट के साथ!!
और बात चीत शुरू हो जाती थी!!
इस तरह अमेरिकन ,अफ्रीकन ,जापानी ,बेल्जियम कितने ही मुल्कों की लेडीज़ से बात हो जाती थी!!
स्कूलों के बच्चे अपनी टीचर्स के साथ दिखते थे !!
अपना ज़माना याद आ जाता था!!
बिल्कुल वही अंदाज!!
मेरे शलवार जंपर से मेरे पास ज़्यादा तर हिंदुस्तान पाकिस्तान के पंजाब के लोग आ कर पूछते थे "आप पंजाब से"!!
मैं कहती थी," नही,दिल्ली से"
अगर वो पाकिस्तानी हैं तो अगला सवाल ज़्यादा तर यही होता था के
"अमरोहा दिल्ली के पास है न?"
मेरे बताने पर के अमरोहा ही की हूं तो फिर अगला सवाल!
"जौन एलिया "को जानती हैं?
यह बताने पर के उनके ही ख़ानदान से हूं तो अजीब कैफ़ियत हो जाती थी!!
और फिर हमारे बीच कुछ देर तक सिर्फ़ भाई जौन रह जाते थे !!
उनके अशआर रह जाते थे!!
ऐसा तीन चार बार हुआ!!
इस फ़ैमिली ने अपने साथ फ़ोटो भी खिंचवाया के हम जा कर दिखाएंगे!!
दोनों पति पत्नी को भाई जौन के ढेरों अशआर याद थे!!
हमें अंदाज़ा नहीं होता उनकी पॉपुलैरिटी का!!
वो वाक़ई बहुत चाहे जाते हैं !!
आप आज भी जिंदा हैं भाई जौन!?
लोगों को जोड़ रहे हैं !!
उनसे बात करना,उनको देखना बहुत ही अच्छा लगता था!!
बात शुरू करने के लिए मैं अपना फ़ोन आगे कर देती थी !!
फोटो क्लिक करने की रिक्वेस्ट के साथ!!
और बात चीत शुरू हो जाती थी!!
इस तरह अमेरिकन ,अफ्रीकन ,जापानी ,बेल्जियम कितने ही मुल्कों की लेडीज़ से बात हो जाती थी!!
स्कूलों के बच्चे अपनी टीचर्स के साथ दिखते थे !!
अपना ज़माना याद आ जाता था!!
बिल्कुल वही अंदाज!!
मेरे शलवार जंपर से मेरे पास ज़्यादा तर हिंदुस्तान पाकिस्तान के पंजाब के लोग आ कर पूछते थे "आप पंजाब से"!!
मैं कहती थी," नही,दिल्ली से"
अगर वो पाकिस्तानी हैं तो अगला सवाल ज़्यादा तर यही होता था के
"अमरोहा दिल्ली के पास है न?"
मेरे बताने पर के अमरोहा ही की हूं तो फिर अगला सवाल!
"जौन एलिया "को जानती हैं?
यह बताने पर के उनके ही ख़ानदान से हूं तो अजीब कैफ़ियत हो जाती थी!!
और फिर हमारे बीच कुछ देर तक सिर्फ़ भाई जौन रह जाते थे !!
उनके अशआर रह जाते थे!!
ऐसा तीन चार बार हुआ!!
इस फ़ैमिली ने अपने साथ फ़ोटो भी खिंचवाया के हम जा कर दिखाएंगे!!
दोनों पति पत्नी को भाई जौन के ढेरों अशआर याद थे!!
हमें अंदाज़ा नहीं होता उनकी पॉपुलैरिटी का!!
वो वाक़ई बहुत चाहे जाते हैं !!
आप आज भी जिंदा हैं भाई जौन!?
लोगों को जोड़ रहे हैं !!
"ओपेरा हाउस और गांधी जी"
मेरे बेटे ने बताया के "आर्ट गैलरी ऑफ़ न्यू साउथ वेल्स" में नए सेक्शंस खुले हैं ,आप देख आइए !!
ओपेरा हाउस से ही रास्ता जाता है!!
मैं एक दम तैयार!!
इस बहाने ओपेरा हाउस एक बार फिर!!
अब की बार बेटे ने मेरे ऊपर भरोसा कर के मुझे सिडनी अकेले घूमना का पूरा मौक़ा दिया था!!
उसका "कार्ड" और मेरा जुनून !!
सिडनी देखा और खूब देखा!!
ओपेरा हाउस के सामने ही है बोटेनिकल गार्डन!!
उसको पार कर के दूसरे गेट से मिली हुई है यह गैलरी!!
इस बहाने बॉटनिकल गार्डन भी देख लिया!!
एक से एक अनोखे पेड़!!
उसको पार कर के दूसरे गेट से मिली हुई है यह गैलरी!!
इस बहाने बॉटनिकल गार्डन भी देख लिया!!
एक से एक अनोखे पेड़!!
पूरी हिस्ट्री बोर्ड्स पर लिखी हुई !!
जिंदगी रही तो यह पिक्स भी शेयर करूंगी!!
गैलरी के बाहर ही ढेरों स्टेच्यू थे!!
बस मैने दो ही पिक्स लगाईं!!
अंदर पहुंची और इतना बड़ा,इतना कलेक्शन देख कर हैरान रह गई!!
उस में सेक्शंस थे!!
1-एबोरिजिनॉल आर्ट!!
2-एशियन आर्ट!!
3- ऑस्ट्रेलियन आर्ट!!
4-पेसिफिक आर्ट!!
5-वेस्टर्न आर्ट!!
6 - फ़ोटोग्राफ़ी
हर सेक्शन बहुत बड़ा है!!
1831 से पेंटिंग्स और चीज़ों का कलेक्शन शुरू हो गया था!!
अब तो ला -तादाद हैं!!
सब देखती हुई एशियन सेक्शन में पहुंची!!
चीन, जापान की चीज़ों से भरा पड़ा है!!
लेकिन उन में भी "गौतम बुद्ध" के स्टेच्यू ही सब से ज़्यादा!!
ईरानी सिर्फ एक प्याला दिखा!!
मिस्र, इराक़ का कुछ नहीं!!
यही सब सोचती हुई एक कमरे में आई!!
कुछ समझ में न आया!!
जब डिटेल पढ़ी तो जज़्बात से आंखें नम हो गईं!!
पूरे बड़े कमरे में गांधी जी की "नमक सत्याग्रह"के वक्त़ दी गई स्पीच लिखी थी!!
सेरामिक और कुछ दूसरे केमिकल्स से छोटी छोटी हड्डियों बनाई गई हैं!!
उन्हें जोड़ जोड़ कर पूरी स्पीच लिखी गई है!!
वहां ड्यूटी पर इंडियन लड़की मेरे पास आई!!
"मैम, आप ठीक हैं न?"
मेरा जवाब सुन कर मुस्कुरा दी!!
इतनी खूबसूरत चीजें ,पेंटिंग्स !!
इतनी ज़्यादा!!
शाम हो गई!!
रेसटुरां में कुछ खा कर बेटे को दुआएं देती हुई वापस हुई!!
***
"ओपेरा हाउस और रॉक्स"
अभी ओपेरा हाउस ने पीछा नहीं छोड़ा !!
क्या करूं वहां इतना कुछ है!!
इतना कुछ होता रहता है!!
दिल चाहने लगता है शेयर करने को!!
कोई तो पढ़ेगा ही!!
ओपेरा हाउस की सीढ़ियों पर सामने मुंह कर के अगर खड़े हैं तो बाईं तरफ़ बोटेनिकल गार्डन है!!
दाहिनी तरफ़ सिडनी का सब से पुराना एरिया है "द रॉक्स"!!
1788 में अपराधियों को ब्रिटिश से ले कर जो पहला समुंद्री बेड़ा आया था वो सिडनी में इसी जगह पहुंचा था!!
यहां की चट्टानों को देख कर उन्होंने नाम दिया "रॉक्स"!!
उस वक्त यहां " कैडिगल" ट्राइब के लोग रहते थे!!
शुरू में जो घर बने वो पथरों और लकड़ी के इस्तेमाल से पुराने स्टाइल के बने!!
धीरे धीरे उनकी जगह बेहतरीन पब्स,रेस्टुरेंट और होटल्स लेते गए!!
ऑस्ट्रेलिया में सब से अच्छी बात यह लगी वो हिस्ट्री को संजो कर रखते हैं!!
हर जगह हिस्ट्री लिखी हुई मिली!!
लगती तो सच्ची ही है !!
यहां भी वो पुराना घर ऐसे ही निशानी के तौर पर रख छोड़ा है!!
अंदर वही उस टाइम का सामान !!
हर तरफ़ दीवारों पर हिस्ट्री लिखी हुई!!
उस वक्त की गलियां!!
पहला हॉस्पिटल!!
नर्सेज का रास्ता!!
सब सुरक्षित है!!
कुछ देर को जैसे दो सौ साल पीछे पहुंच गए!!
बाहर सब कुछ आधुनिक है!!
जो लोग इंग्लैंड गए हैं वो बताते हैं के रॉक्स को इंग्लैंड की झलक देने की कोशिश की गई है!!
रास्ते में "डिजिटल विज़न"भी पड़ा!!
अंदर तरह तरह के" ऑप्टिकल इल्यूजन" थे!!
एक म्यूजियम भी देखती हुई गई!!
वो भी रास्ते ही में था!!
बहुत प्यारी पेंटिंग्स और आइटम्स थे!!
शनिवार को एक बाज़ार भी लगता है
मैं देख नहीं पाई!!
अभी ओपेरा हाउस ने पीछा नहीं छोड़ा !!
क्या करूं वहां इतना कुछ है!!
इतना कुछ होता रहता है!!
दिल चाहने लगता है शेयर करने को!!
कोई तो पढ़ेगा ही!!
ओपेरा हाउस की सीढ़ियों पर सामने मुंह कर के अगर खड़े हैं तो बाईं तरफ़ बोटेनिकल गार्डन है!!
दाहिनी तरफ़ सिडनी का सब से पुराना एरिया है "द रॉक्स"!!
1788 में अपराधियों को ब्रिटिश से ले कर जो पहला समुंद्री बेड़ा आया था वो सिडनी में इसी जगह पहुंचा था!!
यहां की चट्टानों को देख कर उन्होंने नाम दिया "रॉक्स"!!
उस वक्त यहां " कैडिगल" ट्राइब के लोग रहते थे!!
शुरू में जो घर बने वो पथरों और लकड़ी के इस्तेमाल से पुराने स्टाइल के बने!!
धीरे धीरे उनकी जगह बेहतरीन पब्स,रेस्टुरेंट और होटल्स लेते गए!!
ऑस्ट्रेलिया में सब से अच्छी बात यह लगी वो हिस्ट्री को संजो कर रखते हैं!!
हर जगह हिस्ट्री लिखी हुई मिली!!
लगती तो सच्ची ही है !!
यहां भी वो पुराना घर ऐसे ही निशानी के तौर पर रख छोड़ा है!!
अंदर वही उस टाइम का सामान !!
हर तरफ़ दीवारों पर हिस्ट्री लिखी हुई!!
उस वक्त की गलियां!!
पहला हॉस्पिटल!!
नर्सेज का रास्ता!!
सब सुरक्षित है!!
कुछ देर को जैसे दो सौ साल पीछे पहुंच गए!!
बाहर सब कुछ आधुनिक है!!
जो लोग इंग्लैंड गए हैं वो बताते हैं के रॉक्स को इंग्लैंड की झलक देने की कोशिश की गई है!!
रास्ते में "डिजिटल विज़न"भी पड़ा!!
अंदर तरह तरह के" ऑप्टिकल इल्यूजन" थे!!
एक म्यूजियम भी देखती हुई गई!!
वो भी रास्ते ही में था!!
बहुत प्यारी पेंटिंग्स और आइटम्स थे!!
शनिवार को एक बाज़ार भी लगता है
मैं देख नहीं पाई!!
***
भाई इकराम का बेटा "कमाली" (जिनके घर मैं होबार्ट गई थी) , सिडनी में ही रहता है!!
उसकी शादी भाई इंतजाम की बेटी "सबीहा" से हुई है!!
भाई इंतजाम एयर फ़ोर्स में स्क्वाड्रन लीडर थे!!
लद्दाख में एक मिशन में 38 साल की उम्र में शहीद हुए थे!!
होबार्ट से लौट कर सबीहा कमाली ने अपने घर "लंच"पर बुलाया!!
बेटे बहू के साथ वहां पहुंची!!
सिडनी के सब से महंगे इलाक़े "सीबीडी" यानी सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट में उनका घर है!!
सीबीडी सिडनी का डाऊन टाऊन है !!
सब बड़े ऑफिस,होटल्स बिज़नेस सेंटर यहीं हैं!!
डार्लिंग हार्बर,ओपेरा हाऊस भी यहीं हैं!!
घर देख कर बहुत ख़ुशी हुई!!
सामने समंदर!!
हर तरफ़ पेड़ ही पेड़!!
घर में भी गार्डन बहुत हसीन!!
गार्डन के पास ही स्विमिंग पूल!!
सब से ज्यादा जो बात दिल को छू गई वो सबिहा कमाली की सादगी !!
बहुत ख़ुलूस मुहब्बत से उन्होंने खाने का इंतज़ाम किया था!!
कमाली ने शानदार "बारबेक्यू"डिशेज़ बनाईं!!
एक बात और जो बहुत अच्छी लगी वो यह थी के उनके बच्चे "आलिया"और "ज़ैन"पूरे टाईम हमारे साथ रहे!!
सलाम कर के अपने कमरों में नहीं ग़ायब हुए!!
बच्चे और कमाली हिंदुस्तानी ही में बात करते रहे!!
कमाली उर्दू पढ़ भी लेता है और थोड़ी बहुत लिख भी लेता है!!
घर में इंग्लिश हिंदी उर्दू की काफ़ी किताबें थीं!!
"बाम्बी"जो उनकी बहुत पुरानी घर का फ़र्द है ,उसको ख़ास एहमियत हासिल है !!
पूरे "सेल्फ- रेस्पेक्ट " के साथ वो हमारे साथ रही !!
मायरा को लेने का टाईम हो गया था !!
शाम तक न रुक पाए!!
बहुत प्यारी यादें ले कर वहां से लौटी!!
अपने भतीजा भतीजी की परवरिश पर फ़ख्र करती हुई!!
उसकी शादी भाई इंतजाम की बेटी "सबीहा" से हुई है!!
भाई इंतजाम एयर फ़ोर्स में स्क्वाड्रन लीडर थे!!
लद्दाख में एक मिशन में 38 साल की उम्र में शहीद हुए थे!!
होबार्ट से लौट कर सबीहा कमाली ने अपने घर "लंच"पर बुलाया!!
बेटे बहू के साथ वहां पहुंची!!
सिडनी के सब से महंगे इलाक़े "सीबीडी" यानी सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट में उनका घर है!!
सीबीडी सिडनी का डाऊन टाऊन है !!
सब बड़े ऑफिस,होटल्स बिज़नेस सेंटर यहीं हैं!!
डार्लिंग हार्बर,ओपेरा हाऊस भी यहीं हैं!!
घर देख कर बहुत ख़ुशी हुई!!
सामने समंदर!!
हर तरफ़ पेड़ ही पेड़!!
घर में भी गार्डन बहुत हसीन!!
गार्डन के पास ही स्विमिंग पूल!!
सब से ज्यादा जो बात दिल को छू गई वो सबिहा कमाली की सादगी !!
बहुत ख़ुलूस मुहब्बत से उन्होंने खाने का इंतज़ाम किया था!!
कमाली ने शानदार "बारबेक्यू"डिशेज़ बनाईं!!
एक बात और जो बहुत अच्छी लगी वो यह थी के उनके बच्चे "आलिया"और "ज़ैन"पूरे टाईम हमारे साथ रहे!!
सलाम कर के अपने कमरों में नहीं ग़ायब हुए!!
बच्चे और कमाली हिंदुस्तानी ही में बात करते रहे!!
कमाली उर्दू पढ़ भी लेता है और थोड़ी बहुत लिख भी लेता है!!
घर में इंग्लिश हिंदी उर्दू की काफ़ी किताबें थीं!!
"बाम्बी"जो उनकी बहुत पुरानी घर का फ़र्द है ,उसको ख़ास एहमियत हासिल है !!
पूरे "सेल्फ- रेस्पेक्ट " के साथ वो हमारे साथ रही !!
मायरा को लेने का टाईम हो गया था !!
शाम तक न रुक पाए!!
बहुत प्यारी यादें ले कर वहां से लौटी!!
अपने भतीजा भतीजी की परवरिश पर फ़ख्र करती हुई!!
***
एक दिन संगीता सिन्हा के घर भी जाना हुआ!!
बहुत मुहब्बत से उसने बुलाया था!!
संगीता मेरे साथ "यूनिटी कॉलेज"में थी!!
कंप्यूटर साइंस पढ़ाती थी!!
पति भी लखनऊ में एक अच्छी नौकरी पर थे!!
छै साल पहले दोनों ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हुए!!
छोटा भाई यहीं था!!
सेट होने में काफ़ी संघर्ष किया!!
उनके घर जा कर भी दिल बहुत खुश हुआ !!
अपना घर बना लिया है!!
बहुत प्यारा घर है!!
बड़ा बेटा" सागर" एमबीबीएस कर चुका है !!
एक बड़े अस्पताल में इंटर्नशिप कर रहा है!!
छोटा बेटा"समय" बारहवीं क्लास में है!!
संगीता बहुत अच्छे कॉलेज में कंप्यूटर साइंस पढ़ाती है !!
घर बहुत ही प्यारा सजाया है!!
हर तरफ खूबसूरत कैंडल्स और लाइट्स!!
मेरी पोतियों को सब से प्यारा कमरा "प्रोजेक्टर रूम"ही लगा !!
अपनी पसंद की विडियोज़ बड़े स्क्रीन पर देखती रहीं!!
छोटी का डांस देख कर मैं हैरान ही रह गई!!
जबरदस्त कथक!!
घर में स्पा भी था!!
बच्चियों ने सफ़ाई करने वाले "रोबोट"को भी खूब एंजॉय किया!!
फ्रिज पर यू ट्यूब से गाने चल रहे थे!!
मैने ऐसा सिस्टम पहली बार देखा था!!
खाना नॉन वेज ,सब घर का!!
कबाब पराठे लखनऊ स्टाइल!!
इन सब से बढ़ कर वही !!
संगीता और उसकी फ़ैमिली का ख़ुलूस,प्यार!!
जो चीज़ दिल को छूती है वो होती है सादगी और अपनापन!!
वो पूरी शाम अपनाईत से भरपूर थी!!
संगीता खाना साथ में भी किया था!!
बहुत प्यारी प्यारी यादें ले कर लौटी!!
संगीता, हनी,सागर और समय को ढेर सारा प्यार और दुआएं!!
बहुत मुहब्बत से उसने बुलाया था!!
संगीता मेरे साथ "यूनिटी कॉलेज"में थी!!
कंप्यूटर साइंस पढ़ाती थी!!
पति भी लखनऊ में एक अच्छी नौकरी पर थे!!
छै साल पहले दोनों ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हुए!!
छोटा भाई यहीं था!!
सेट होने में काफ़ी संघर्ष किया!!
उनके घर जा कर भी दिल बहुत खुश हुआ !!
अपना घर बना लिया है!!
बहुत प्यारा घर है!!
बड़ा बेटा" सागर" एमबीबीएस कर चुका है !!
एक बड़े अस्पताल में इंटर्नशिप कर रहा है!!
छोटा बेटा"समय" बारहवीं क्लास में है!!
संगीता बहुत अच्छे कॉलेज में कंप्यूटर साइंस पढ़ाती है !!
घर बहुत ही प्यारा सजाया है!!
हर तरफ खूबसूरत कैंडल्स और लाइट्स!!
मेरी पोतियों को सब से प्यारा कमरा "प्रोजेक्टर रूम"ही लगा !!
अपनी पसंद की विडियोज़ बड़े स्क्रीन पर देखती रहीं!!
छोटी का डांस देख कर मैं हैरान ही रह गई!!
जबरदस्त कथक!!
घर में स्पा भी था!!
बच्चियों ने सफ़ाई करने वाले "रोबोट"को भी खूब एंजॉय किया!!
फ्रिज पर यू ट्यूब से गाने चल रहे थे!!
मैने ऐसा सिस्टम पहली बार देखा था!!
खाना नॉन वेज ,सब घर का!!
कबाब पराठे लखनऊ स्टाइल!!
इन सब से बढ़ कर वही !!
संगीता और उसकी फ़ैमिली का ख़ुलूस,प्यार!!
जो चीज़ दिल को छूती है वो होती है सादगी और अपनापन!!
वो पूरी शाम अपनाईत से भरपूर थी!!
संगीता खाना साथ में भी किया था!!
बहुत प्यारी प्यारी यादें ले कर लौटी!!
संगीता, हनी,सागर और समय को ढेर सारा प्यार और दुआएं!!
***
एक शाम ब्लू "माउंटेन" के नाम"
ब्लू माउंटेन सिडनी से 64 किलोमीट की दूरी पर हैं!!
यह "सैंडस्टोन" के बने हुए पहाड़ हैं!!
4.7 करोड़ साल पुराने हैं!!
इसकी ख़ास खूबसूरती तीन पहाड़ियां हैं !!
इसलिए इनको "थ्री सिस्टर्स"भी कहा जाता है!!
यूकेलिप्टस के घने जंगल हैं!!
यहां"गुण्डुंगुर्रा"ट्राइब के आदिवासी रहते थे!!
यहां कोयले की खानें भी हैं!!
1954 में क्वीन विक्टोरिया ने यहां से सूर्यास्त देखा था!!
तब से इसे टूरिस्ट स्पॉट की तरह बढ़ावा मिला!!
29 नवंबर ,2000 को यह "वर्ल्ड हेरिटेज"में शामिल कर लिया गया!!
सूरज डूबते वक्त के रंग और समां बेहद हसीन होता है!!
मैं इसी में डूबी हुई थी के सामने से मुझे"एकिडना"जाता हुआ दिखा!!
यह जानवर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी में पाया जाता है!!
जल्दी जल्दी फ़ोटो खींचे!!
वीडियो बनाई!!
घर के रास्ते ही में थे के चांद ग्रहण शुरू हो गया!!
घर पहुंचते ही लिफ्ट से छत पर पहुंची!!
हर उम्र के लोग मौजूद थे !!
सब के पास खाने पीने की चीज़ें थीं !!
एक दूसरे से शेयर कर रहे थे!!
बच्चे चांद के फ़ोटो खींच रहे थे!!
डायरीज़ में लिख भी रहे थे!!
उसी की बारे में बात कर रहे थे!!
मैने इतने साफ़ आसमान पर इतना साफ ग्रहण कभी नहीं देखा था!!
हुआ भी पूरा ही!!
बस वो देखती ही रही !!
जब तक चांद पहले जैसा न हो गया!!
बहुत यादगगर शाम थी वह !!
ब्लू माउंटेन सिडनी से 64 किलोमीट की दूरी पर हैं!!
यह "सैंडस्टोन" के बने हुए पहाड़ हैं!!
4.7 करोड़ साल पुराने हैं!!
इसकी ख़ास खूबसूरती तीन पहाड़ियां हैं !!
इसलिए इनको "थ्री सिस्टर्स"भी कहा जाता है!!
यूकेलिप्टस के घने जंगल हैं!!
यहां"गुण्डुंगुर्रा"ट्राइब के आदिवासी रहते थे!!
यहां कोयले की खानें भी हैं!!
1954 में क्वीन विक्टोरिया ने यहां से सूर्यास्त देखा था!!
तब से इसे टूरिस्ट स्पॉट की तरह बढ़ावा मिला!!
29 नवंबर ,2000 को यह "वर्ल्ड हेरिटेज"में शामिल कर लिया गया!!
सूरज डूबते वक्त के रंग और समां बेहद हसीन होता है!!
मैं इसी में डूबी हुई थी के सामने से मुझे"एकिडना"जाता हुआ दिखा!!
यह जानवर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और न्यू गिनी में पाया जाता है!!
जल्दी जल्दी फ़ोटो खींचे!!
वीडियो बनाई!!
घर के रास्ते ही में थे के चांद ग्रहण शुरू हो गया!!
घर पहुंचते ही लिफ्ट से छत पर पहुंची!!
हर उम्र के लोग मौजूद थे !!
सब के पास खाने पीने की चीज़ें थीं !!
एक दूसरे से शेयर कर रहे थे!!
बच्चे चांद के फ़ोटो खींच रहे थे!!
डायरीज़ में लिख भी रहे थे!!
उसी की बारे में बात कर रहे थे!!
मैने इतने साफ़ आसमान पर इतना साफ ग्रहण कभी नहीं देखा था!!
हुआ भी पूरा ही!!
बस वो देखती ही रही !!
जब तक चांद पहले जैसा न हो गया!!
बहुत यादगगर शाम थी वह !!
***
एक दिन "सिडनी टॉवर "जाने का प्रोग्राम बना!!
टिकट शाम के थे!!
टीपू ने कहा आप" क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग "देखती हुई "सिडनी टॉवर" पहुंच जाऐं!!
मैं दोपहर को ही निकल गई!!
ट्रेन से पहुंची "क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग"!!
1898 में बनी है!!
आर्किटेक्ट थे "जॉर्ज मेरा"!!
दुनिया के बड़ी बड़ी ब्रांड्स,फैशन बुटीक,ज़ेवरात की शॉप्स और बड़े बड़े रेस्टुरेंट मौजूद हैं !!
बहुत शानदार बिल्डिंग है!!
वहां से सिडनी टॉवर जाने के रास्ते में यह साहेब जिन का फोटो है,दिखे!!
ज़मीन पर कुछ पेंटिंग्स थीं!!
सब से दिलचस्प ईरान के मशहूर सूफ़ी "जलालुद्दीन रूमी"की लिखी हुई कोटेशन्स बेच रहे थे!!
रूमी तेरहवीं सदी के मशहूर दार्शनिक कवि थे!!
कई भाषाओं में उनके लिखे को ट्रांसलेट किया जा चुका है!!
मैने एक ख़रीदा!!
उन्होंने आंखें बंद कर के निकाला !!
मेरे हिस्से में यही आया!!
बहुत हैरत हुई रूमी को वहां देख कर!!
टॉवर के नीचे बेटा बहू मिले!!
यह टॉवर सिडनी का सब से ऊंचा स्ट्रक्चर है!!
इसकी ऊंचाई 309 मीटर है!!
1970 में बन कर तैयार हुआ है!!
उपर जा का कर गोलाई में घूम कर हर तरफ़ से सिडनी को देखा!!
बहुत ख़ूबसूरत!!
उपर एक वर्किंग लेटर बॉक्स भी था!!
बीच में रेस्टुरेंट भी है!!
जगह जगह टेलीस्कोप लगे हुए हैं!!
टाईम का पता ही नहीं चलता!!
हर तरफ़ का मंज़र लाजवाब!!
टिकट शाम के थे!!
टीपू ने कहा आप" क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग "देखती हुई "सिडनी टॉवर" पहुंच जाऐं!!
मैं दोपहर को ही निकल गई!!
ट्रेन से पहुंची "क्वीन विक्टोरिया बिल्डिंग"!!
1898 में बनी है!!
आर्किटेक्ट थे "जॉर्ज मेरा"!!
दुनिया के बड़ी बड़ी ब्रांड्स,फैशन बुटीक,ज़ेवरात की शॉप्स और बड़े बड़े रेस्टुरेंट मौजूद हैं !!
बहुत शानदार बिल्डिंग है!!
वहां से सिडनी टॉवर जाने के रास्ते में यह साहेब जिन का फोटो है,दिखे!!
ज़मीन पर कुछ पेंटिंग्स थीं!!
सब से दिलचस्प ईरान के मशहूर सूफ़ी "जलालुद्दीन रूमी"की लिखी हुई कोटेशन्स बेच रहे थे!!
रूमी तेरहवीं सदी के मशहूर दार्शनिक कवि थे!!
कई भाषाओं में उनके लिखे को ट्रांसलेट किया जा चुका है!!
मैने एक ख़रीदा!!
उन्होंने आंखें बंद कर के निकाला !!
मेरे हिस्से में यही आया!!
बहुत हैरत हुई रूमी को वहां देख कर!!
टॉवर के नीचे बेटा बहू मिले!!
यह टॉवर सिडनी का सब से ऊंचा स्ट्रक्चर है!!
इसकी ऊंचाई 309 मीटर है!!
1970 में बन कर तैयार हुआ है!!
उपर जा का कर गोलाई में घूम कर हर तरफ़ से सिडनी को देखा!!
बहुत ख़ूबसूरत!!
उपर एक वर्किंग लेटर बॉक्स भी था!!
बीच में रेस्टुरेंट भी है!!
जगह जगह टेलीस्कोप लगे हुए हैं!!
टाईम का पता ही नहीं चलता!!
हर तरफ़ का मंज़र लाजवाब!!
सेंट्रल बिज़नेस डिस्ट्रिक्ट यानी सीबीडी के पास ही है सिडनी का सब से बड़ा चर्च "सेंट मैरीज़ कैथीडरल"!!
वहीं "ऑस्ट्रेलियन म्यूज़ियम"और "हाईड पार्क " भी हैं!!
मुझे तीनों देखने थे!!
सब से पहले पहुंची चर्च!!
बहुत ही ख़ूबसूरत बिल्डिंग!!
1821 में गवर्नर मैक्वेरी ने चर्च के लिए यह जमीन अलॉट की थी!!
सैंडस्टोन का बना हुआ 22.5 मीटर ऊंचा स्ट्रक्चर है!!
आस पास का एरिया भी बहुत आकर्षक है !!
सामने ही ऑस्ट्रेलियन म्यूज़ियम है!!
म्यूज़ियम में उन दिनों "शार्क" का शो चल रहा था!!
पहले वही देखा!!
तरह तरह की शार्कस के मॉडल्स !!
उनके बारे में जानकारी!!
फिर म्यूज़ियम देखने गई!!
बहुत बड़ा!!
ज़्यादा तर" वाइल्ड लाइफ़" पर जानकारी थी!!
"अर्जुन "के स्टेच्यू दिलचस्प लगे!!
बहुत बड़ा ,बहुत रिच म्यूजियम!!
जानकारी से भरपूर!!
देख कर हाईड पार्क पहुंची!!
यह सिडनी का सब से पुराना पार्क है!!
1788 में जब अपराधियों को लेकर ब्रिटिशर्स सिडनी पहुंचे तो यहीं पर अपराधियों के बैरक्स बने थे!!
यहां "गाडिगल"ट्राईब के आदिवासी रहते थे!!
यहां दोनों के बीच काफ़ी संघर्ष हुआ!!
बहुत से आदिवासी मारे गए!!
बहुत से छोड़ कर चले गए!!
यह 16 हेक्टेयर में फैला हुआ है!!
बहुत हरा भरा पार्क है!!
400 खूबसूरत पेड़ हैं!!
कई फ़व्वारे हैं!!
यादगारें हैं!!
वर्ल्ड वॉर में मारे गए सैनिकों की याद में मीनार हैं !!
एक देखने लायक जगह!!
***
2 दिसंबर, 22 को "ब्लैक टाऊन " के एक "ऑटिज्म सेंटर "में जाने का मौक़ा मिला!!
ब्लैक टाऊन सिडनी से 34 किलो मीटर दूर एक सबर्ब है!!
यह ऑस्ट्रेलिया का सब से ज़्यादा "मल्टीकल्चरल" शहर है!!
1788 से पहले यहां"दरुग"ट्राईब के आदिवासी रहते थे!!
पहला यूरोपियन बेड़ा आया!!
यहां के 70 -90 परसेंट लोग चेंचक और दूसरी बीमारियों से मर गए!!
1823 में पैरामेटा में जो आदिवासियों के लिए स्कूल था,वो यहां शिफ्ट कर दिया गया!!
उस स्कूल का नाम था"ब्लैक टाऊन नेटिव स्कूल"!!
इसी वजह से यहां का नाम पड़ा"ब्लैक टाऊन"!!
1833 में यह स्कूल बंद हो गया!!
चर्च ने स्कूल खुलवाने शुरू कर दिए!!
यहां मिडिल ईस्ट के लोग काफ़ी दिखाई देते हैं!!
यहां की जनसंख्या 4,03000
क्रिश्चियन 50 परसेंट
मुस्लिम 20 परसेंट
हिंदू 14 परसेंट
बाक़ी अन्य हैं!!
"ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर" एक डेवोलेपमेंटल डिसेबिलिटी है !!
जिस में बच्चा अपनी बात ठीक से कह नहीं पाता!!
दूसरे की बात भी ज़्यादा समझ नहीं पाता!!
दुनिया में हर सौ में एक बच्चा ऑटिस्टिक होता है!!
जिस सेंटर पर मैं आई थी वो अपनी फील्ड की एक्सपर्ट "लिंडा"चलाती हैं!!
वहां बच्चे नहीं आते , पेरेंट्स की काउंसलिंग के वर्कशॉप होते हैं!!
ऑस्ट्रेलिया में ऑटिस्टिक बच्चों का कोई अलग से स्कूल नहीं होता!!
सब के साथ पढ़ते है!!
यह"इंक्लूजन" कहलाता है!!
इंडिया में भी अब शुरू हो गया है!!
मैं जिस दिन गई थी तो लिंडा के सामने बैठे थीं एक इराक़ी मां और एक इंडोनेशियन बाप!!
पूरे सब्र के साथ लिंडा उनके सवालों का जवाब दे रही थी!!
इराक़ी मां को इंग्लिश नहीं आती थी !!
इंटरप्रेटर दूसरी इराक़ी लेडी साथ थीं!!
लिंडा का सारा ज़ोर मातृ भाषा और दादी नानी पर था!!
अगर साथ में नहीं हैं तो वीडियो कॉल से बच्चे से बात कराते रहें!!
वक्त का पता ही न चला!!
सड़क पर भी अबाया और स्कार्फ काफ़ी नज़र आए!!
रेस्टुरेंट में भी ऐसी लेडीज दिखीं!!
रास्ते में ट्रेन से एक "गुरुद्वारा" और एक "तुर्की"मस्जिद भी देखी!!
लिंडा ने मुझे कुछ किताबें भी दीं !!
कुल मिला कर एक यादगार ,जानकारी भरा दिन
ब्लैक टाऊन सिडनी से 34 किलो मीटर दूर एक सबर्ब है!!
यह ऑस्ट्रेलिया का सब से ज़्यादा "मल्टीकल्चरल" शहर है!!
1788 से पहले यहां"दरुग"ट्राईब के आदिवासी रहते थे!!
पहला यूरोपियन बेड़ा आया!!
यहां के 70 -90 परसेंट लोग चेंचक और दूसरी बीमारियों से मर गए!!
1823 में पैरामेटा में जो आदिवासियों के लिए स्कूल था,वो यहां शिफ्ट कर दिया गया!!
उस स्कूल का नाम था"ब्लैक टाऊन नेटिव स्कूल"!!
इसी वजह से यहां का नाम पड़ा"ब्लैक टाऊन"!!
1833 में यह स्कूल बंद हो गया!!
चर्च ने स्कूल खुलवाने शुरू कर दिए!!
यहां मिडिल ईस्ट के लोग काफ़ी दिखाई देते हैं!!
यहां की जनसंख्या 4,03000
क्रिश्चियन 50 परसेंट
मुस्लिम 20 परसेंट
हिंदू 14 परसेंट
बाक़ी अन्य हैं!!
"ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर" एक डेवोलेपमेंटल डिसेबिलिटी है !!
जिस में बच्चा अपनी बात ठीक से कह नहीं पाता!!
दूसरे की बात भी ज़्यादा समझ नहीं पाता!!
दुनिया में हर सौ में एक बच्चा ऑटिस्टिक होता है!!
जिस सेंटर पर मैं आई थी वो अपनी फील्ड की एक्सपर्ट "लिंडा"चलाती हैं!!
वहां बच्चे नहीं आते , पेरेंट्स की काउंसलिंग के वर्कशॉप होते हैं!!
ऑस्ट्रेलिया में ऑटिस्टिक बच्चों का कोई अलग से स्कूल नहीं होता!!
सब के साथ पढ़ते है!!
यह"इंक्लूजन" कहलाता है!!
इंडिया में भी अब शुरू हो गया है!!
मैं जिस दिन गई थी तो लिंडा के सामने बैठे थीं एक इराक़ी मां और एक इंडोनेशियन बाप!!
पूरे सब्र के साथ लिंडा उनके सवालों का जवाब दे रही थी!!
इराक़ी मां को इंग्लिश नहीं आती थी !!
इंटरप्रेटर दूसरी इराक़ी लेडी साथ थीं!!
लिंडा का सारा ज़ोर मातृ भाषा और दादी नानी पर था!!
अगर साथ में नहीं हैं तो वीडियो कॉल से बच्चे से बात कराते रहें!!
वक्त का पता ही न चला!!
सड़क पर भी अबाया और स्कार्फ काफ़ी नज़र आए!!
रेस्टुरेंट में भी ऐसी लेडीज दिखीं!!
रास्ते में ट्रेन से एक "गुरुद्वारा" और एक "तुर्की"मस्जिद भी देखी!!
लिंडा ने मुझे कुछ किताबें भी दीं !!
कुल मिला कर एक यादगार ,जानकारी भरा दिन
एक दिन पैरामेटा की लाइब्रेरी भी गई!!
यहां हर एरिया में स्टेट की तरफ़ से स्कूल और लाइब्रेरी ज़रूर होते हैं!!
स्कूल में बारहवीं तक कोई फ़ीस नहीं!!
लाइब्रेरी में कोई मेंबरशिप का पैसा नहीं!!
बहुत बड़ी लाइब्रेरी थी!!
हर टॉपिक पर किताबें थीं!?
सब से अच्छा लगा हर उम्र के लोग आ रहे थे!!
सीनियर सिटीज़न ज़्यादा!!
अख़बार इंग्लिश, चाइनीज़ और अरबी के ही दिखे!!
बाहर निकली तो व्हीलचेयर पर यह लेडी बहुत अच्छे गाने गा रहीं थीं!!
लोग उनके बॉक्स में पैसे डाल रहे थे!!
काफ़ी दूर चल कर पैरामेटा की "जेल" भी देखने गई!!
जेल को अब "करेक्शनल सेंटर"कहते हैं !!
इस वक्त ऑस्ट्रेलिया के करेक्शमल सेंटर्स में 40,907 लोग हैं!!
पैरामेटा का सेंटर 1798 में बना था!!
उस वक्त यह लकड़ी का बना हुआ था!!
1842 में इसे सैंडस्टोन से बनाया गया !!
अब यह इमारत "वर्ल्ड हेरिटेज"में आती है!!
इन पोस्टमैन ने यहां तक पहुंचने में मदद की थी!!
वहां से "सेंट जॉन सेमेट्री"में आई!!
यह सिडनी का सब से पुराना क़ब्रिस्तान है!!
1790 में बना था!!
सब से पहले आने वाले यूरोपियन यहीं दफ़्न हैं!!
यह भी "वर्ल्ड हेरिटेज"में आता है!!
बहुत पेड़ और बहुत हरियाली है!!
सड़क के किनारे बहुत रौनक़ की जगह है!!
इसी में दिन गुज़र गया!!
वापसी में अपने पसंदीदा प्वाइंट से सूरज को डूबते हुए देखा!
***
Written By Ashfaq Ahmad
एक दिन बेटा बहू "सेंट्रल कोस्ट"के शहर "टेरीगल" ले गए!!
टेरिगल सिडनी से 51 किलोमीटर दूर है!!
अपने खूबसूरत समुंद्री तटों के लिए मशहूर है!!
आबादी 11,349 है!!!!
1826 में पहले यूरोपियन "जॉन ग्रे" यहां आए थे!!
उन्होंने ही "एबोरिजिनल" लोगों की भाषा का नाम इसको दिया!!
इसका मतलब है "छोटी चिड़ियों की जगह"!!
"बीच" के पास ही हरी घास की चढ़ाई थी!!
वहां से भी समुद्र का हसीन नज़ारा देखने को मिला!!
इस मैदान में तीनों तरफ़ समुद्र ही था !!
पानी का रंग भी बहुत अच्छा!!
वहां से खाना खा कर 15 किलोमीटर दूर "वियोंग" शहर गए!!
यहां एक बड़ी लेक है"तुग्गरेह"!!
इसी जगह पर यह लेक समुद्र से मिलती है!!
बहुत अजीब लगता है !!
एक तरफ़ शांत,पुर सुकून लेक है!!
एक तरफ मचलता ,उबलता समुद्र है!!
लेक के पास बच्चों के लिए पार्क है!!
मायरा अलीशा यहां से जाना नहीं चाहती थीं!!
मैं समुद्र की लहरों को देखने के लिए बेचैन!!
आख़िर में अकेली ही समुद्र तक गई!!
बहुत बहुत हसीन नज़ारा!!
लौटते वक्त तक शाम हो गई!!
एक बहुत यादगार दिन मेरे नसीब में था!!
टेरिगल सिडनी से 51 किलोमीटर दूर है!!
अपने खूबसूरत समुंद्री तटों के लिए मशहूर है!!
आबादी 11,349 है!!!!
1826 में पहले यूरोपियन "जॉन ग्रे" यहां आए थे!!
उन्होंने ही "एबोरिजिनल" लोगों की भाषा का नाम इसको दिया!!
इसका मतलब है "छोटी चिड़ियों की जगह"!!
"बीच" के पास ही हरी घास की चढ़ाई थी!!
वहां से भी समुद्र का हसीन नज़ारा देखने को मिला!!
इस मैदान में तीनों तरफ़ समुद्र ही था !!
पानी का रंग भी बहुत अच्छा!!
वहां से खाना खा कर 15 किलोमीटर दूर "वियोंग" शहर गए!!
यहां एक बड़ी लेक है"तुग्गरेह"!!
इसी जगह पर यह लेक समुद्र से मिलती है!!
बहुत अजीब लगता है !!
एक तरफ़ शांत,पुर सुकून लेक है!!
एक तरफ मचलता ,उबलता समुद्र है!!
मायरा अलीशा यहां से जाना नहीं चाहती थीं!!
मैं समुद्र की लहरों को देखने के लिए बेचैन!!
आख़िर में अकेली ही समुद्र तक गई!!
बहुत बहुत हसीन नज़ारा!!
लौटते वक्त तक शाम हो गई!!
एक बहुत यादगार दिन मेरे नसीब में था!!
***
मेरी वापसी के दो दिन बचे थे!!
मैं आखरी बार क्रूज़ से अपनी पसंदीदा जगह "ओपेरा हाउस"पहुंची !!
यहां की सिक्योरिटी वाले सब इंडियंस हैं !!
सब से मिलती थी!!
बात करती थी !!
उन्हें "बाए " कहा!!
बेटे ने कहा "आप क्रूज़ से "पिरामोंट" स्टेशन पर उतर जाईएगा, उस एरिया में मेरी मीटिंग है आप को ले लूंगा"!!
मैं आस पास के नज़ारों में इतनी खोई के अनाउंसमेंट सुन ही न पाई!!
अगले स्टेशन पर उतरी!!
वापस आने के लिए काफ़ी पैदल चलना था!!
यह "डार्लिंग हार्बर"की वॉक थी!!
आधे रास्ते पर ही बेटा मिल गया!!
मेरी ग़ल्ती ने मुझे वो क़ीमती पल दिए!!
उसका हाथ पकड़ कर बाक़ी का रास्ता तय किया!!
उसको छूती रही !!
प्यार करती रही!!
रास्ते में कुछ यूनिक चीज़ें भी देखीं!!
जैसे यह "लाइफ विद आ सूटकेस" स्टेच्यू
अगले दिन"लंच"के लिए बच्चे "कबाबिया" एक इंडियन रेस्तरां में ले गए!!
मेन्यू में हर डिश के आगे"लखनऊ" का हवाला था!!
लेकिन वो मज़ा नहीं था!!
उसी दिन "पैरामेटा लेक"भी गए!!
बहुत ख़ूबसूरत हरा रंग , हर तरफ!!
एक फ़िल्म की शूटिंग भी हो रही थी!!
कहीं भी भीड़ दिखती ही नहीं थी !!
यहां भी नहीं थी!!
बस अब सिडनी का एक दिन और है!!
मैं आखरी बार क्रूज़ से अपनी पसंदीदा जगह "ओपेरा हाउस"पहुंची !!
यहां की सिक्योरिटी वाले सब इंडियंस हैं !!
सब से मिलती थी!!
बात करती थी !!
उन्हें "बाए " कहा!!
बेटे ने कहा "आप क्रूज़ से "पिरामोंट" स्टेशन पर उतर जाईएगा, उस एरिया में मेरी मीटिंग है आप को ले लूंगा"!!
मैं आस पास के नज़ारों में इतनी खोई के अनाउंसमेंट सुन ही न पाई!!
अगले स्टेशन पर उतरी!!
वापस आने के लिए काफ़ी पैदल चलना था!!
यह "डार्लिंग हार्बर"की वॉक थी!!
आधे रास्ते पर ही बेटा मिल गया!!
मेरी ग़ल्ती ने मुझे वो क़ीमती पल दिए!!
उसका हाथ पकड़ कर बाक़ी का रास्ता तय किया!!
उसको छूती रही !!
प्यार करती रही!!
रास्ते में कुछ यूनिक चीज़ें भी देखीं!!
जैसे यह "लाइफ विद आ सूटकेस" स्टेच्यू
अगले दिन"लंच"के लिए बच्चे "कबाबिया" एक इंडियन रेस्तरां में ले गए!!
मेन्यू में हर डिश के आगे"लखनऊ" का हवाला था!!
लेकिन वो मज़ा नहीं था!!
उसी दिन "पैरामेटा लेक"भी गए!!
बहुत ख़ूबसूरत हरा रंग , हर तरफ!!
एक फ़िल्म की शूटिंग भी हो रही थी!!
कहीं भी भीड़ दिखती ही नहीं थी !!
यहां भी नहीं थी!!
बस अब सिडनी का एक दिन और है!!
***
आख़री दिन आ गया!!
मैं सुबह को पैकिंग कर के बेटे के साथ मायरा को लेने स्कूल गई!!
वहां से आ कर भागती हुई पहुंची अपनी ख़ास जगह!!
जहां जा कर सूरज को जाते हुए देखती थी!!
यहां के ज़्यादा तर हर रेस्तरां में खाना खाया था!!
बहुत से" वेटर्स" से दोस्ती भी हो गई थी!!
वह ज़्यादा तर इंडियंस,पाकिस्तानी या नेपाली होते थे!!
सब पढ़ने वाले बच्चे!!
हायर स्टडीज़ वाले !!
सब शाम को ही मिलते थे!!
आज मैं जल्दी चली गई थी!!
सिर्फ़ यह नेपाली लड़की ही मिल पाई!!
उसके रेस्तरां का नाम था "तिमूर"
उसने आलू की टिक्की और जूस पैक कर के मुझे दिए!!
क्योंकि घर पर बेटा बहू इंतजार कर रहे थे!!
गले लग कर नम आंखों से विदा कहा!!
पहले हमें "कैसल हिल"जाना था!!
यहां" टीपू रेशम" का नया घर था!!
मेरे आने के बाद शिफ्ट होना था!!
32 वें फ़्लोर पर अच्छा घर था!!
बाल्कनी से नज़ारा शानदार था
वहां से "कैसल टॉवर"मॉल गए!!
बच्चियां खेलती रहीं!!
मैं अपने आंसू रोकती रही!!
दिल बहुत उदास था!!
खाना खा कर घर पहुंचे!!
अगली सुबह जल्दी ही मुझे निकलना था!!
रात भर सो न पाई!!
सुबह देखा टीपू की आवाज बिल्कुल निकल ही नहीं पा रही !!
गले में इन्फ़ेक्शन"!!
इशारों में बातें कर रहा था!!
इसी हालत में एयरपोर्ट के लिए मुझे ले कर निकला!!
अलीशा से सोते ही में मिली!!
रेशम मायरा से रोते हुए विदा हुई!!
सारे रास्ते आंसू रुके ही नहीं!!
टीपू अपनी तबियत की वजह से दूरी बनाने की नाकाम कोशिश करता रहा!!
सब काम आसानी से हो गए!!
अंदर जाते हुए मुड़ कर देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही थी!!
मेरी नस्ल की कितनी ही मांओं की क़िस्मत में यही लिखा है!!
हमें तरक़्की की क़ीमत चुकानी है!!
अपनी तन्हाई से !!
अपने आंसुओं से!!
मैं सुबह को पैकिंग कर के बेटे के साथ मायरा को लेने स्कूल गई!!
वहां से आ कर भागती हुई पहुंची अपनी ख़ास जगह!!
जहां जा कर सूरज को जाते हुए देखती थी!!
यहां के ज़्यादा तर हर रेस्तरां में खाना खाया था!!
बहुत से" वेटर्स" से दोस्ती भी हो गई थी!!
वह ज़्यादा तर इंडियंस,पाकिस्तानी या नेपाली होते थे!!
सब पढ़ने वाले बच्चे!!
हायर स्टडीज़ वाले !!
सब शाम को ही मिलते थे!!
आज मैं जल्दी चली गई थी!!
सिर्फ़ यह नेपाली लड़की ही मिल पाई!!
उसके रेस्तरां का नाम था "तिमूर"
उसने आलू की टिक्की और जूस पैक कर के मुझे दिए!!
क्योंकि घर पर बेटा बहू इंतजार कर रहे थे!!
गले लग कर नम आंखों से विदा कहा!!
पहले हमें "कैसल हिल"जाना था!!
यहां" टीपू रेशम" का नया घर था!!
मेरे आने के बाद शिफ्ट होना था!!
32 वें फ़्लोर पर अच्छा घर था!!
बाल्कनी से नज़ारा शानदार था
वहां से "कैसल टॉवर"मॉल गए!!
बच्चियां खेलती रहीं!!
मैं अपने आंसू रोकती रही!!
दिल बहुत उदास था!!
खाना खा कर घर पहुंचे!!
अगली सुबह जल्दी ही मुझे निकलना था!!
रात भर सो न पाई!!
सुबह देखा टीपू की आवाज बिल्कुल निकल ही नहीं पा रही !!
गले में इन्फ़ेक्शन"!!
इशारों में बातें कर रहा था!!
इसी हालत में एयरपोर्ट के लिए मुझे ले कर निकला!!
अलीशा से सोते ही में मिली!!
रेशम मायरा से रोते हुए विदा हुई!!
सारे रास्ते आंसू रुके ही नहीं!!
टीपू अपनी तबियत की वजह से दूरी बनाने की नाकाम कोशिश करता रहा!!
सब काम आसानी से हो गए!!
अंदर जाते हुए मुड़ कर देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रही थी!!
मेरी नस्ल की कितनी ही मांओं की क़िस्मत में यही लिखा है!!
हमें तरक़्की की क़ीमत चुकानी है!!
अपनी तन्हाई से !!
अपने आंसुओं से!!
(समाप्त)
Written by Tasweer Naqvi
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