फ्रांसीसी क्रांति

 

क्या है यह फ्रांसीसी क्रांति जिसका ज़िक्र हमें इतिहास में मिलता है?

फ़्रांसीसी क्रांति 1789-1793!

फ़्रांसीसी क्रांति सारे यूरोप को हैरत में डालती हुई एकाएक आ धमकी!!

ज़मीन तो विचारकों ने तैयार कर ही दी थी!

इन विचारकों में बेकोन, देकार्त, वाल्टेयर,दिद्रो,लॉक,मोंटेस्को,हलबेटियस भी शामिल थे!!

सारे फ़्रांस की आबादी थी दो करोड़ चालीस लाख थी जिस में बड़ी आबादी किसानों की थी ,वह मेहनत करते थे और जागीरदारों को बड़ी लगान देते थे!

भूमिदास भी काफ़ी तादाद में थे ,ज़मीन उनकी नहीं थी बस खेती करते थे!

जागीरदारों की लगान,चर्च के चढ़ावे,राजा के बढ़ते टैक्स ,इन सब के बोझ तले आम आदमी दबा हुआ था!!

व्यापार करने से एक वर्ग नए धनी लोगों का भी था जो कारखाने मिलें लगाना चाहते थे उसके लिए सस्ते मज़दूर चाहते थे!

पूंजी वाद की तरक्की निर्भर थी व्यापार पर!

व्यापार की नीतियों में राजा सोलहवें लूई का बहुत दखल हो गया था !

राजकोष पर सामंतों का कब्ज़ा बढ़ता जा रहा था!

ऐसे अनीति वाले माहौल में किसान और व्यापारी इस व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते थे!!

1788 में पांच मई को राजा ने"स्टेटस जेनरल" का अधिवेशन किया!


१- फ़्रांस के रोमन कैथोलिक चर्च के पुरोहित

२- सामंत,जागीरदार

३- देश के बाकी लोगों के प्रतिनिधि!

राजा ने ऐलान किया के अब से हर बात में तीनों लोग अलग अलग वोट देंगें!

अगर पहले दो वर्गों के वोट का जोड़ तीसरे से ज़्यादा होगा तो तीसरे का प्रस्ताव गिर जाएगा!!I

इस पर ज़बरदस्त हंगामा हुआ!

सब एक टेनिस कोर्ट में जमा हो गए!

राजा से कह दिया के इस को बदलो ,हम तुम्हारी संगीनों से नहीं डरते!

आख़िर राजा को हार माननी पड़ी!

9 जुलाई 1789 को राजा को अपना आदेश वापस लेना पड़ा!!

14 जुलाई को "बास्तिल" के क़िले पर क्रांति कारियो ने हमला किया और वहां बंद कैदी आज़ाद किए गए!!

यह कैदी अपने इंकलाबी विचार,लेखन या तकरीर की वजह से बंद किए गए थे!!

इस क़िले के पतन की खबर फ़्रांस के कोने कोने में फैल गई!

हर जगह किसान बाहर निकल आए और अपने अपने इलाक़ों के जागीरदारों के महलों पर हमला शुरू कर दिया!

ज़मीनों के कागजात जला दिए!


11 अगस्त को खेती पर लगने वाला कर या लगान उठा लिया गया!

किसानों की क्रांति से खेती पर लगने वाला टैक्स ख़त्म कर दिया गया,यह माफ़ तो किया गया था मगर इस शर्त पर के बहुत सी सुविधाएं ज़मींदारों को मुआवजा दे कर ही ली जा सकेंगी!

किसानों के पास यह कीमत चुकाने के पैसे नहीं थे!

नतीजा यह हुआ के किसानों ने ज़मीदारों के प्रतिनिधियों को फांसी देने के कटघरे गिलोटीन खड़े किए!

आख़िर बहुत मेहनत के बाद 1793 में यह क़ानून वापस लिया गया!!

उधर राजा की साजिशों चलती रहीं!

उसने वर्साई जहां विधान सभा थी सेना जमा करनी शुरू कर दी!

1789 में 8000 औरतें बंदूक ले कर वरसाई में जमा हो गईं!

राजा को पेरिस लौट जाने पर मजबूर किया!

सितंबर 1791 में सब के समान अधिकार की घोषणा हुई!

लेकिन किसानों का कोई बहुत ज़्यादा फायदा ना हुआ!

धनी व्यापारी वर्ग को बहुत ज़्यादा अधिकार मिल गए!

राजा का आसन वैसा ही रहा!

किसान बेचैन रहे !

आम लोगों को पड़ोसी मुल्कों से युद्ध का सामना भी करना पड़ा कियोंके राजा यही सोचता था के युद्ध के माहौल में उसका वर्चस्व बना रहेगा!

21मई को महल पर क़ब्जा हुआ ,राजा रानी को कैद कर लिया और फ्रांस में जानता कि सरकार बनी!!

तीन चार दिन तक सिर्फ विरोधयों को फांसी का सिलसिला चलता रहा!

फ़्रांस की इस क्रांति ने जागीरदारी निज़ाम को खत्म किया!!

रोमन कैथोलिक पादरियों की ताकत छीन ली गई!

राजा की ताकत कम हो गई !

और सत्ता के आसन पर बैठ गए पूंजी पति!!

वह पूंजी पति जिन्होंने क्रांति में सामने से तो किसानों का साथ दिया था मगर पीछे वह मिले रहे राजा से भी ,जागीरदारों से भी !!





No comments