डार्क एजेज़
क्या है डार्क एजेज और किस काल को डार्क एजेज कहा गया?
पांचवी सदी के आख़िर तक योरोप में हर शहर, गांव, मोहल्ले में एक चर्च होता था जिस का पादरी उस मुहल्ले का सब से असरदार आदमी होता था ,जो वह कहता था बस वही सच ,ज़िन्दगी के हर शोबे पर उसका ही क़ब्जा था!!
637 A D में यह इलाका मुस्लिम कंट्रोल में अा गया मगर ईसाईयों के जेरुसलेम आने पर कोई रोक ना लगी मगर जब 1087 A D में यह तुर्की के शासकों के कंट्रोल में आया तो ईसायों के वहां आने पर रोक लग गई!!
उस ज़माने में आम आदमी को यह यक़ीन दिला दिया गया था के अगर वह एक बार फिलिस्तीन में जाकर जीसस की सूली पर चढ़ाए जाने की जगह देख लें जो जेरूसलम में है तो उनके सारे गुनाह माफ हो जाएगे, लोग हर साल वहां जाते थे और काफ़ी पैसे ख़र्च कर के आते थे !!
पादरियों ने यह बताया के ईसा मसीह दोबारा आने वाले हैं इसके लिए जेरूसलम को आज़ाद कराने के लिए जंग लड़नी ज़रूरी है,लिहाज़ा ऐक बड़ी फौज जिस में आम आदमी थे ,मुजरिम थे ,ग़ुलाम थे फिलिस्तीन की तरफ भेजे गए फासला था तकरीबन तीन हज़ार किलोमीटर !!!
,वह सब यह सोचते थे के मर गए तो शहीद होंगे,ग़ुलाम इस लिए भेजे जाते थे के मर गए तो शहीद ,वापस आए तो आज़ाद, ,एक जंग में औरतें भी साथ भेजी गईं ताके फौजी आराम से लड़ सकें,कोई भी वापस ना अा सकी,एक जंग में सिर्फ़ बच्चे भेजे गए के यह मासूम हैं जीत लेंगे,कोई वापस ना अा सका,200 साल में नौ या दस सलीबी जंगें हुईं ,यह था मज़हब का असर उस वक़्त के लोगों पर ,दिमाग़ बंद ,सोच बंद इसी लिए उन सालों को कहा गया "डार्क एजेज़" !!
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