स्त्रियों के प्राइवेट पार्ट्स हाइजीन पर कुछ ज़रूरी बातें

 

वेजाईना की साफ़ सफाई कैसे रखें

पिछले महीने से देख रही, वेजाइनल इंफेक्शन के मामले एकदम बढ़ गये हैं। इंफेक्शन को नज़र-अंदाज़ न करें, तुरन्त ज़रूरी चिकित्सकीय सलाह और इलाज लें ताकि सर्विक्स और गर्भाशय तक न फैले। पर कुछ ज़रूरी बातें प्राइवेट पार्ट्स हाइजीन के बारे में जान लें।

◾वेजाइना 'सेल्फ क्लींज़िंग' होता है-
यह बहुत-बहुत ज़रूरी बात है। प्लीज़ ध्यान से पढ़ें, समझें और दूसरों को बताएं कि प्राइवेट पार्ट्स में किसी साबुन, बॉडी वॉश, शॉवर जेल आदि की ज़रूरत नहीं। साफ़ पानी से धोना काफ़ी है और काफ़ी नहीं लग रहा, लगातार गाढ़ा स्राव या स्मेल है, तो इंफेक्शन हो सकता है।

◾डिटॉल आदि का प्रयोग बिल्कुल न करें-
जैसा कि बताया, vagina अपनी साफ़-सफाई मेंटेन रखने में स्वयं सक्षम है। उसका अपना vaginal flora है, मतलब अच्छे वाले बैक्टीरिया की पूरी कॉलोनी है, जो कि बाहरी इन्फेक्शंस से बचाव करती है जिनमें लैक्टोबेसिलस की प्रजाति महत्त्वपूर्ण है। योनि में कभी डिटॉल/सेवलोन या कोई डिसइन्फेक्टेन्ट का इस्तेमाल न करें, इससे वजाइनल फ्लोरा नष्ट होता है और बार-बार इंफेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं।
यह ग़लतियां बहुत सी पढ़ी-लिखी समझदार महिलाएं भी करती हैं, जानकारी के अभाव में।

◾वेजाइना एसिडिक होता है-
वेजाइना का ph 3.5 से 4 के बीच होता है। इसका एसिड कपड़ों के लिंट, उन्हें बदरंग करने में सक्षम है। यह बिल्कुल नॉर्मल है। लेक्टिक एसिड युक्त प्रोडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन नॉर्मल स्वस्थ वेजाइना को इनकी ज़रूरत होती नहीं है।
लेकिन कभी भी टेलकम पाउडर का इस्तेमाल न करें। इनसे कैंसर भी हो सकता है।

◾हाइजीन मेंटेन करने के लिये क्या करें-
- जैसा कि बताया, सबसे आसान है, कुछ भी न करें, साफ़ पानी के इस्तेमाल के अलावा। स्त्रियों में मलद्वार और मूत्रद्वार पास पास होते हैं तो टिशू यूज़ करते समय या वॉश करते समय आगे से पीछे की ओर करें न कि पीछे से आगे, इससे संक्रमण से बचा जा सकता है।

अंतर्वस्त्र सिर्फ कॉटन के पहनें। रोज़ बदलें। कॉटन से ज़्यादा स्किन फ्रेंडली कुछ नहीं, सिल्क, साटिन, होज़री, लेस, अलानी-फलानी फैंसी लॉन्जरी के फेर में न पड़ें।

कभी भी नम अंतर्वस्त्र न पहनें। न अंधेरे नमीयुक्त कोने में सुखाएं, फंगल इंफेक्शन का ख़तरा रहता है। अगर धूप में न सुखा पाएं तो अच्छे से इस्त्री करके पहनें।

इंटरनल यूज़ के प्रोडक्ट्स बिन डॉक्टरी सलाह के न प्रयुक्त करें।

पेशाब लम्बे समय के लिये न रोकें, ब्लेडर फुल रहने से इंफेक्शन के चांस बढ़ सकते हैं। पानी पीती रहें, हाइड्रेट रहें।

इंटरकोर्स के तुरन्त बाद साफ़ पानी से वॉश करें। स्पर्म स्लाइटली अल्कलाइन होते हैं, वेजाइना का ph बदल सकते हैं।

अगर व्हाइट डिस्चार्ज इतना हो रहा है कि लगातार अंतर्वस्त्र भीगे ही रहें, बदलते रहना पड़ें, या उसमें झाग, बदबू, हरे या पीले रंग का स्राव हो, जलन, सूजन या खुजली हो, तो ही ये ल्यूकोरिया या इंफेक्शन के लक्षण हैं, नहीं तो डिस्चार्ज या स्राव नॉर्मल है, फिज़ियोलॉजिकल है, सबको होता है। उसे बीमारी मानकर इलाज या घरेलू नुस्खे के फेर में न पड़ें।

व्हाइट डिस्चार्ज हड्डियों का गूदा नहीं होता। वेजाइना कहाँ और बोन-मैरो कहाँ। गाँव ही नहीं, शहर की महिलाओं में भी यह भ्रांति है कि हड्डियों का गूदा गलकर सफेद पानी की शक्ल में बाहर आ रहा है क्योंकि उनको अक़्सर कमर-दर्द या हाथ पैरों में दर्द बना रहता है जो ज़्यादातर कैल्शियम की कमी और हड्डियों की कमज़ोरी की वजह से होता है तो वे सहज ये मान बैठती हैं।

इन बहुत ही आसान, बहुत बेसिक लेकिन बहुत ज़रूरी बातों का ध्यान रखें और जिन्हें बता सकते हैं, उन्हें भी बताएं।

Written by Nazia Khan

No comments