अजीनोमोटो... एक धीमा ज़हर
क्या है अजीनोमोटो और क्या है इसका असर
मैगी, चाऊमीन, मंचूरियन, स्प्रिंग रोल आदि चाइनीज व्यंजन भारतीय युवाओं के फेवरेस्ट फूड में शामिल हैं। कई युवा तो इसे ही खाकर अपना पेट भरते हैं। बदलते जीवनशैली ने इन चाइनीज फूड को हमारे डे टू डे लाइफ का एक इर्म्पोटेंट हिस्सा बना दिया है।
बच्चे हो या बड़े हर वर्ग के लोग इसे बड़े चाव के साथ खाते है। लेकिन क्या आपको पता है कि इन व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने के लिए जिसका उपयोग किया जाता है। उसे कहते है अजीनोमोटो...दिमाग को पागल करने का मसाला...जो सफेद क्रिस्टल के रूप मे होता है।
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यह मोनो सोडियम ग्लूटामेट(M.S.G.) नामक रसायन जिसे लोग अजीनोमोटो के नाम से जानते है। इसे जिस फ़ूड में डाला जाता है ये उसका स्वाद बढ़ा देता है .
अजीनोमोटो एक ऐसा रसायन है, जिसके जीभ पर स्पर्श के बाद जीभ भ्रमित हो जाती है और मस्तिष्क को झूठे संदेश भेजने लगती है। जिससे सड़ा-गला या बेस्वाद खाना भी अच्छा महसूस होता है। इस रसायन के प्रयोग से शरीर के अंगों-उपांगों और मस्तिष्क के बीच न्यूरोंस का नेटवर्क बाधित हो जाता है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं।
मोनोसोडियम ग्लूटामेट की खोज एक जापानी वैज्ञानिक किकुनेई इकेडा ने 1908 में की थी। किकुनेई इकेडा उस समय टोक्यो इम्पीरियल यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे।प्रोफेसर की पत्नी अकसर केल्प नामक समुद्री घास से एक लोकप्रिय जापानी स्टॉक (सूप) ‘दाशी’ बनाया करती थी।
उन्होंने देखा कि समुद्री घास कटसुओबुशी और कोंबू(kelp) से बने जापानी शोरबे में एक विलक्षण स्वाद होता है। जो मीठे, नमकीन, खट्टे और कड़ुए स्वाद से भिन्न है। प्रोफेसर ने जलीय निष्कर्षण(Aqueous extraction) और क्रिस्टलीकरण पद्धति से समुद्री-घास लमिनेरिया जपोनिका, कोंबू, से ग्लूटामिक अम्ल (Ajinomoto) को अलग किया और इस साल्ट के विशेष स्वाद को उमामी(Umami) नाम दिया।
जो एक पांचवे स्वाद के रूप में प्रसिद्ध हुआ। जिसका अर्थ होता है सुखद स्वाद। प्रोफेसर इकेडा ने इस खोज का नाम रखा मोनोसोडियम ग्लूटामेट और MSG के नाम से जापान में पेटेंट ले लिया। 1909 में सुजुकी भाइयों के साथ मिलकर इसके व्यापारिक उत्पादन के लिए Ajinomoto नाम से कंपनी खोली। इसी साल पहली बार इसका कमर्शियल उत्पादन हुआ।
अजीनोमोटो इंसान के लिए सुरक्षित है या नहीं, इसकी डिबेट की शुरुवात हुई जब एक चीनी रेस्टोरेंट syndrome ने इसका प्रयोग न करने का फैसला लिया क्योंकि जिन dishes में अजीनोमोटो का उपयोग हुआ था। उन्हें खाकर उनके ग्राहक बीमार पड़ने लगे और सबसे बड़ी बात ये थी कि सभी बीमार कस्टमर के लक्षण भी एक जैसे ही थे।
इस घटना के बाद मेडिको अकादमिक इंडस्ट्री(Medico Adademic इंडस्ट्री) ने भी msg के दुष्प्रभावों के बारे में लिखना शुरू कर दिया।
अजीनोमोटो युक्त भोजन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए|।प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा मात्रा में MSG का सेवन गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए घातक हो सकता है। अजीनोमोटो एक प्रकार का नमक ही है। ये रक्त चाप (ब्लडप्रेशर) को बढ़ाता है, जिससे बच्चे तक सही मात्रा में भोजन पहुचने में बाधा उत्पन्न होती है और बच्चे के मस्तिष्क के न्यूरॉन को प्रभावित करता हैं। जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता और शिशु मानसिक रूप से कमजोर पैदा हो सकता है।
इसके सेवन से सरदर्द(headache), Flusing(चेहरा लाल हो जाना), sweating(पसीने आना), nausea(चक्कर और उल्टी का मन), weakness(कमजोरी) व कुछ स्टडीज में ये भी पाया गया, इसके ज्यादा सेवन से बच्चों में ब्रेन डैमेज और आँखों में परेशानी हो सकती है।
MSG एक न्यूरो ट्रांसमीटर है, जो मस्तिष्क की कोशिकाओं को उत्तेजित करता है। उत्तेजित न्यूरोंस अनिद्रा जैसी स्थिति उत्पन कर सकते हैं। ज्यादा सेवन से अचानक दिल की धड़कन बढ़ जाना, सीने की मासपेशियों में खिचाव जैसी समस्या भी उत्पन हो सकती है।
अजीनोमोटो पैरों की मांसपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर द्वारा जितना भी कैल्शियम लिया गया हो, उसे कम कर देता है।इसका सेवन करने से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है और इसके सेवन से रक्त में ग्लूटामेट का स्तर बढ़ जाता है। इसी वजह से शरीर पर काफी गम्भीर प्रभाव पड़ता है।
अन्ततः ये एक नशे की तरह कार्य करता है। एक बार इसे खा लेते हो तो बार बार खाने का जी चाहता है और इसे खाने से नुकसान होता है। एमएसजी को एक धीमा हत्यारा कहना गलत नहीं है।
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