नये लेखकों के लिये
अपनी किताब कहाँ और कैसे छपवायें
- नये लेखकों के लिये सेल्फ पब्लिशिंग एक ऑप्शन है...
यह
और बात है कि लेखक हूँ लेकिन कभी अपनी कृतियाँ छपवाने की कोई खास कोशिश नहीं की..
दो बार एक पब्लिशर से बात हुई लेकिन परवान न चढ़ सकी। उनकी शर्तें मुझे मंजूर नहीं
थीं।
बहरहाल
अब फिर दिल में आया कि कोशिश करूँ तो दो अलग पब्लिकेशन में हाथ आजमाया। एक में 'डू इट योरसेल्फ' मोड में.. यानि किताब का कवर,
इंटीरियर, प्रूफ रीडिंग, एडिटिंग सब खुद ही कर के रेडी टु प्रिंट पीडीएफ फाईल लोड कर दी और दूसरी
अदर पब्लिकेशन में गाइडेड मोड में डाली, यानि उनकी तरफ से
दिया प्लान ले लो जो कि चालीस हजार से ले कर दो-तीन लाख तक हो सकता है और अपनी
स्क्रिप्ट उन्हें दे दो.. बाकी काम उनका।
लेकिन
मार्केटिंग में वे तब हाथ डालेंगे जब पैकेज आलमोस्ट साठ हजार से ऊपर लिया जाये। यह
दोनों मोड सेल्फ पब्लिशिंग के अंतर्गत आते हैं जो कि लगभग सभी पब्लिकेशन देते हैं।
हालांकि सेल्फ पब्लिशिंग के लिये नोशन, पोथी,
क्रियेटस्पेस, जगर्नाट आदि अच्छे प्लेटफार्म
हैं, मगर सबकुछ पैकेज पे डिपेंड करता है। अगर आपकी किताब
हिंदी में है तो बड़ा पैकेज लेने का कोई फायदा नहीं क्योंकि हिंदी की मार्केट
सीमित है, जबकि अंग्रेजी के लिये कोई भी पैकेज लिया जा सकता
है, क्योंकि अंग्रेजी का मार्केट ग्लोबल है।
- सेल्फ पब्लिशिंग में रेडी तो प्रिंट स्क्रिप्ट
की प्रोडक्शन कास्ट ज्यादा आती है
यहाँ
एक चीज ध्यान में रखिये कि यह सभी पब्लिकेशन आपको फ्री सर्विस तो देते हैं जहां
खुद बुक कंपलीट करके आप छपवा सकते हैं और खुद से मार्केटिंग कर के बेच सकते हैं
लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रोडक्शन कास्ट एक काॅपी के हिसाब से
जुड़ती है जो काफी ज्यादा हो सकती है। मसलन 120 पेज
(मिनिमम साईज यही होता है) की किताब की कास्ट 150 तक हो सकती
है, जबकि बल्क प्रिंटिंग में यह 90 से 100
तक भी हो सकती है। इस मोड में किताब के लिये काॅपीराईट और आईएसबीएन
लेना आपके हिस्से होता है।
इसके
सिवा और ढेरों छोटे और लोकल पब्लिकेशंस भी पेड सर्विस देते हैं जो कि बीस हजार से
चालीस हजार तक हो सकती है, जिसमें किताब से सम्बंधित सारी जिम्मेदारी उनकी
होती है.. सौ काॅपी इस कीमत के एवज में वे आपको देंगे और इसके सिवा जो वे बेचेंगे,
उस पर आपको 7 से 10% राॅयल्टी
आपको देंगे लेकिन यह आपको पता होना चाहिये कि उनकी सेल का कोई ऑफिशल रिकार्ड आपको
नहीं मिलेगा। हाँ कुछ बड़े पब्लिकेशंस स्क्रिप्ट पसंद आने पर बिना कुछ लिये भी
छापते हैं लेकिन वहां भी दिक्कत यही है कि राॅयल्टी बेहद कम है और ऑफिशल सेल का
पता नहीं चलेगा।
जबकि
सेल्फ पब्लिशिंग में प्रोडक्शन कास्ट और कुछ और खर्चे और टैक्स निकाल कर नेट
प्राफिट पूरा आपका होता है मगर वहां भी पेंच यह है कि सपोज अमेजाॅन फ्लिपकार्ट
जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किताब बिकती है तो 50% डिस्ट्रीब्यूशन
चार्ज+प्रोडक्शन कास्ट कट जाती है। इसे ऐसे समझिये कि दो सौ पन्नों की कोई किताब
है जिसकी प्रोडक्शन कास्ट 90 रुपये है और एमआरपी 250 रखी है तो 50% मतलब 125+प्रोडक्शन
कास्ट 90, कुल 215 कट जायेंगे और आपको
सिर्फ 35 रुपये मिलेंगे और उस पे भी आपको आगे 12% जीएसटी देनी है।
- बिना खर्च में ई-बुक भी पब्लिश कर सकते हैं
इसके
सिवा आप अमेजाॅन के किंडल स्टोर पे भी अपनी किताब को ई-बुक का रूप दे कर अपलोड कर
सकते हैं लेकिन उसके लिये बेहतर है कि किंडल के साफ्टवेयर का सहारा लें। वहां
रायल्टी के दो ऑप्शन रहते हैं। अगर आप किताब की कीमत 100 से कम रखते हैं तो 30% ही राॅयल्टी मिलेगी और अगर सौ
से ऊपर रखेंगे तो 70% तक मिलेगी। वहां आईएसबीएन की जरूरत
नहीं। हाँ काॅपीराईट ले लें तो बेहतर है आपके लिये, लिटरेरी
कैटेगरी में सिर्फ पांच सौ ही फीस है।
बहरहाल
सारे मोर्चों से गुजर कर यह समझ में आया कि कद बड़ा होने तक हर तरफ लेखक का शोषण
ही है.. खास कर नये लेखकों के लिये तो बेहद निराशाजनक स्थिति है। ज्यादातर लोग जेब
से पैसे खर्च कर के एक किताब छपवा कर ही खुश हो लेते हैं.. लेखन के क्षेत्र में
कैरियर बनाना तो टफ टास्क है।
अंत
पंत मेरी समझ में यह चीज आई कि खुद का ही पब्लिकेशन शुरू किया जाये और फिलहाल इसी
कोशिश में लगा हूँ.. कम से कम अपने जैसे लोगों की थोड़ी बहुत हेल्प तो कर सकूंगा।
अब काम करने की सोची है तो न सिर्फ दूसरे राईटर्स की जरूरत पड़ेगी बल्कि प्रूफ
रीडिंग, एडिटिंग, इलस्ट्रेशन,
ग्राफिक डिजाइनिंग, ट्रांसलेशन आदि के लिये भी
लोगों की जरूरत पड़ेगी.. अभी नाॅवल्स से ही शुरुआत की जायेगी लेकिन थोड़े वक्त बाद
मैग्जीन भी शुरू करेंगे जिसके लिये लगातार कंटेंट की जरूरत रहेगी।
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